उद्द्देश्यः- मैं डा० योगेन्द्र प्रताप सिंह अध्यक्ष लकी हेल्थ डेवलपमेंट एण्ड सोशल वेलफेयर सोसाइटी आजाद नगर गुरसहायगंज जनपद कन्नौज उ० प्र०:- मेरा बेटा लकी जो मानसिक विकलांग हैंउससे प्ररित होकर हमारे समाज में विकलांगता एक बढी समस्या है जिसमें मानसिक विकलांगता एक बहुत जटिल समस्या है उन दिव्यागों की समस्या से प्रेरित होकर मैने एक मानसिक एक मानसिक विकलांग विद्यालय का विकलांग कल्याण विभाग से रजिस्ट्रेशन कराकर विद्यालय संचालित किया। ताकि मानसिक विकलां ग वच्चे पढ़ाई से वंचित न रहे। और उनके जीवन की मुख्य धारा जोडा जा सके। 1. विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों जैसें सुनने में कठिनाई देखने में क्षीण शक्ति शरीर के उपरी भाग में विकलागता के कारण लिखने में कठिनाई 2. अक्षमता के आधर पर विशिष्ट अवश्यकता वाले वच्चों को पहचान कर सकेंगें। 3. कक्षा सहपाठियों को इन वगों के वच्चों के साथ सम्मानपूर्व, स्नेहपूर्व, आत्मीय व्यवहद्वार करने के लिए प्रेरित कर सकेगें । 4. इन बच्चो के विषय में, अभिभावक तथा स्थानीय समुदाय के सदस्यो के ढंग में अनुकुल परिवर्तन ला सकें। 5. इन बच्चों को जीवन की मुख्य धारा से जोडा जा सके।
1. श्रवण सम्बन्धी विकलांगता 2. द्रष्टि सम्बन्धी विकलांगता 3. अस्थि सम्बन्धी विकलांगता 4. मानसिक सम्बन्धी विकलांगता 5. सीखने सम्बन्धी विकलांगता
कुछ लोगो का मानना है कि सभी प्रकार भी विकलांगता वाले बच्चो की शिक्षा के लिये विशेष प्रकार की तकनीकों की आवश्यकता पडती है जो सच नहीं है। रोजमरी की कक्षा में पढ़ाने के लिए विशेष तकनीक को आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि प्रकार की तकनीक उन विकलांग वच्चों सिखाने के लिए पडती हैं। जिनका रोग उत्साह का रूप धारण कर चुका हैं। सधारण रूपासे विकलांग वच्चों की शिक्षा विशेष तकनीक की नहीं वरन शिक्षण के अदभूत द्रष्टिकोण के विकास की अधिक आवश्यकता है। महत्वः- आज हमारे समाज में जरूरत हैं। कि विकलांग जनों को सामान्य लोगों की तरह महत्व दिया जायें। उन वच्चों कोद हीन का भावना से न देखा जायें। शिशु स्तर पर लालन-पालन अनपयुक्त तरीके अपनना चाहिए। उन लोगों को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान किये जाना चाहिए और उचित समय पर सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं कर भरपूर लाभ दिलाना चाहिए ।
कार्य :- विकलांगताओं के भी मानसिक विकलांगता ग्रस्त वच्चों को जीवन स्तर सुधारने में काफी परेशनियों का सामना करना पड़ता है। उन बच्चों को ऐसा वातावरण प्रदान करना पडता हैं। कि जिससे सीखनें की प्रक्रिया में कत से कम वाधायें रहे जायें वे कक्षा में शेष वच्चों की भाँति सीख समझकर आगे बढ़ें और उनका समुचित विकास हो । सामजिक गतिविधियों समान रूप से भाग अवसर मिलने से उसमें परस्पर अलग व दूरी घटजाती हैं। तथा एक दूसरे के निकट जाने की सम्भावनाए बढ़ जाती है। इसप्रकार का वातावरण से अनुभूत ग्रस्त वच्चों को समान शैक्षिक अवसर प्राप्त होता है। तथा वे समाज के आगे सदस्यों की भाँति जीवन के विविध क्षेत्रों में कार्य करने की योग्यता विकसित कर लेते हैं। संस्ता द्वारा दिव्यांग बच्चों को प्रत्येक वर्ष विकलांग प्रमाण पत्र वनवाती है। और आवश्यक उपकरण आदि दिलवाती हैं। कवरः-स्वैक्षिक संस्था लकी हेल्थ डेवलपमेंट एण्ड सोशल वेलफेयर सोसाइटी आजाद नगर गुरसहायगंज द्वारा लगभग आसपास के दो नगर पालिकाएँ और सौ से अधिक गाँवों के वच्चों को निशुल्क शिक्षण व प्रशिक्षण कार्य का लाभ दिव्यांगों को पहुंचाया जा रहा हैं। मानसिक रूपसे विकलांग वच्चों को कक्षा में पढाई गई अवधारणाएँ को समझने में कठिनाई होती है यताईगई अवधारणओं का बोध हो जाता इसके साथ प्रारम्भिक शिक्षा की अवस्था में अधिक से अधिक उपचारात्मक सुहावारात्मक की अवश्यकता हैं ।
देखमालः- एसे वच्चों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती हैं। विकलांगता आज के युग की सबसे बड़ी चुनौती हैं जैसे-जैसे हम नैतिकवादी सस्कृति की ओर अगशर होते हुए उसकी पराकाष्ठा को प्राप्तकरने में व्यस्त हो रहे है वैसे ही आपने पीछे तामम प्रकार केप्रदूषण को छोडकर चला जा रहा है। जिसका परिताण यह है विकलांगों की सख्यां दिन प्रतिदिन *बढ़ती जा रही हैं। किन्तुएक विकलांगता ऐसी भी है जो पूरे समाज के लिए चुनौती बनती जा रही है वर्तमान समय में हर आदमी इतना व्यस्त हो गया है। कि वास्तविक कर्तव्य उसके निर्वाहन का संज्ञान ही नहीं रहता वह परिवार में रहता हुआ परिवार से अलग रहता है। परिवार के लिए सबकुछ करते हुए उसका कटा सा रहता है जिनका वच्चों पर उजवल भविष्य के लिए वह अपना अथक परिश्रम करता है। तामम विरोधी कार्य कर डालता है। फिर भी वह जो चाहता नहीं बनता है। मुँह बल गिर जाता हैं। तब इतना समय निकल चुका रहता है। की उसकी स्थिति सांप और छहुंदर जैसी होती हैं उनकी सदभावनाओं के अनुरूप रह कर कार्य करना चाहिए इससे वच्चों के अन्दर हीन मवना संक्रिणता नहीं होती है। बच्चा जब छोटा होता है। तब उसके अन्दर किस प्रकार का भेदभाव पहीं रहता है। बल्कि सबके गलें लिपटकर अपना लेते है।
उसी प्रकार माता-पिता बच्चों के साथ समय-समय पर बच्चा भी बनने चाहिए अगर ऐसा नहीं किया गया मानसिक विकलांगता की इतनी बडी संख्या हो जाऐगी। कि उस पर नियणंत्र मुश्किल हो जाऐगा अव भी समय हैं कि हम मानसिक बच्चों की मानसिक स्थिति को समझ संस्था मानसिक बच्चों को निशुल्क शिक्षा कपडा खाना व रहना रखना आदि व्यवस्थाएँ स्वंय करती है। और बच्चों को आत्म निर्भर बनाने के लिए सही मार्ग दर्शन करती है एसे बच्चों को सार्वजनिक रूप एवं आये स्थानों से चिन्हित कर विद्यालय लाकर उनकी शिक्षा दीक्षा आदि कार्य सम्पूर्ण रूप से निष्ठा और ईमानदारी से करती है इसमें जनता कुछ संमान्त व्यक्तियों का सहयोग पाकर पूर्ण उत्साह से कार्य कर रही है।
15 अप्रैल वर्ष 2016 को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जो मानसिक मन्दित एवं मूकववधिर बच्चों के अविभावकों जनप्रतिनिधियों विशेषज्ञों द्वारा जनता को विकलांगता के बारे में विशेषज्ञों में विस्तार से बताए और इसके बचाव के बारे में सलाह दी इस आयोजन के मुख्य अतिथि माननीय छिबरामऊ विधान सभा क 'विधायक अरविन्द यादव जी थे। चिकित्सा विशेषज्ञ प्रभावी चिकित्सा अधिकारी गुरसहाग डा० मुकेश गोला विशिष्ट अतिथि थे लेडी डा० रानू वर्मा ने भी विकलांगता विषय पर विस्त्रत प्रकाश डाला इस आयोजन विकलांगता विशेषज्ञ भी देवेश वर्मा जी ने मानसिक विकलाचंता ग्रस्त बच्चों की समस्याओं व शिक्षण समबन्धी जानकारी दी विधायक जी ने इस आयोजन में विकलांग वच्चों के सांस्कृतिक प्रोग्राम व अन्य गतिविधियों को बहुत सराहा और सरकार द्वारा हर सम्भव मदद दिलाने का आश्वाशन दिया मानसिक बच्चे रवी, गुलाजार का नृय देखकर मुख्य अतिथि जी बहुत खुश हुए। अतः मैंने विद्यालय संस्था में विकलांगता पर प्रकास डाला और सस्था में विकलांग बच्चों को मरते दम तक अपनाजीवन समपर्ण देने वादा किया हमारा बेटा लकी मानसिक विकलांग है। 09/06/2016 को प्रातः 10 बजे एक शिविर का आयोजन किया गया जिसमें विकलांगजनों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं व उनके लाभ के बारे में बताए गया जैसे 1. विकलांग पेंशन 2. विकलांग प्रमाण पत्र 3. विकलांगों उपकरण दिलाना 4. विकलांगों बस व रेलवे पास दिलाना 5. विकलांगों के आधार कार्ड बनबाना 6. विकलांगों को सर्जरी सुविधा दिलाना 7. विकलांगाको शादी अनुदान दिलाना . विकलांगों को शिक्षण प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था करना आदि। कैम्प में मुख्य श्री राजेश कुमार बघेल प्रभारी जिला विकलांग जन विकास अधिकारी कन्नौज विकलांगों को योजनाओं की जानकारी दी गई और प्रबन्धक डा० वाई० पी० सिंह ने सभी विकलांगों व उनके अभिभावका को जलपान कराया व प्रतीक के रूप में एक एक पेंन मुख्य अतिथि से वितरित कराया।
1 लकी आज लकी सारे दैनिक कार्य स्वयं कर लेता है। जैसे साइकिल चलाना मोबाइल बलाना कम्प्यूटर चलाना बच्चों के साथ खेलना कूदना आदि कार्य स्वयं करने लगा है।